Friday 24 February 2017

Jarur Padhe :: ऐसा मौका बार बार नहीं मिलता



रात के करीब 1:30 बजे मैं उठा और स्थिति का जायजा लिया। चाची गहरी नींद में सो रही थी। चाची बाँयी ओर करवट ले कर सोई थी और एक टाँग को घुटने से मोड़ रखा था।
मैं चाची के पास गया और चाची का लहंगा खिसका कर जाँघों तक कर दिया और दो मिनट रुका, फिर मैंने लहँगे को पीछे से ऊपर किया तो चाची के मोटे चूतड़ नज़र आई और साथ ही उनकी टाँग के मुड़े होने से चूत की दरार भी दिखने लगी।
मैंने हिम्मत जुटा कर चाची के कूल्हे पर हाथ फेरा।
फिर मैंने सोचा कि कहीं जाग गई तो प्लान फ़ेल हो जाएगा तो मैं चाची की बगल में लेट गया। मैंने अपना पायज़ामा नीचे सरकाया और लंड बाहर निकाला जो उत्तेजना में फटने पर आया था।
इस तरह मुझे परेशानी हो रही थी तो मैंने उठ कर पायज़ामा उतार कर मेरी खाट पर पटक दिया। अब मैंने अंडरवीयर के होल से लंड बाहर निकाला और फिर से चाची की बगल में लेट गया और लंड को चाची की चूत की दरार से छूआने लगा।
चाची बोली- राहुल, यह क्या कर रहा है, छोड़ मुझे, वरना तेरी मम्मी को बता दूँगी ये सब।
मैंने कहा- चाची, प्लीज़ एक कर कर लेने दो प्लीज़! और फिर आपको भी तो नया लंड लेने की चाहत होगी ना?
चाची चिल्लाई- नहीं होती मुझे कोई चाहत… अब तू छोड़ मुझे और अपनी खाट पर जा। सुबह देख, मैं तेरी लंका लगाती हूँ।
मैंने कहा- जब सज़ा लेनी ही है तो जुर्म किए बिना क्यूँ?
और मैंने झटके मारने चालू किए।
धीरे धीरे लंड की गरमी से चाची गरम होने लगी तो मैं मौका ताड़ कर चाची के बोबे दबाने लगा और उनकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा।
मेरे इस वार के आगे चाची टिक नहीं पाई और पानी छोड़ दिया जो मैं अपने लंड पर महसूस कर सकता था।
चाची के सब्र का बाँध टूटा और उनके मुख से निकला ‘आहह उम्म्म ममम… राहुल चोदो इसस्सस्स…’
सुबह चाची बड़े प्यार से उठा रही थी- उठ भी जा मेरे चोदू, क्या और नहीं करना क्या?
बस चुदाई का नाम लेते ही मैं तो झट से खड़ा हो गया और मेरा शेर भी।

चाची ने मना किया कि अब नहीं, जाना है!
पर मैंने उन्हें मना कर लहंगा ऊँचा करके लंड को चूत में डाल दिया और दीवार के सहारे से टीका कर एक दस मिनट का एक दौर और खेला।
फिर हम दोनों ही शादी वाले घर पर चले गये।

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